मध्यप्रदेश में जल संरक्षण के लिए ‘जल गंगा अभियान’ की हुई शुरुआत!

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मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत को संजोने और जल संरक्षण के क्षेत्र में एक व्यापक पहल की घोषणा की है. गुड़ी पड़वा के अवसर पर, प्रदेश की परंपरा में सूर्योदय से पहले स्वच्छ जल में स्नान और ऊषाकाल में सूर्य को प्रणाम करने के विधान के अनुरूप, सरकार ने जल गंगा अभियान की शुरुआत करने का ऐलान किया है. यह अभियान उज्जैन के क्षिप्रा (शिप्रा ) तट से शुरू होकर वर्षा जल संचयन, जलस्रोतों के पुनर्जीवन एवं नवीन जल संरक्षण तकनीकों पर विशेष जोर देगा.

इस पहल में ओंकारेश्वर, उज्जैन, मैहर सहित कई धार्मिक स्थलों को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. वर्ष 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ पर्व की भव्यता और दिव्यता के लिए दो हजार करोड़ रुपये का विशेष प्रावधान किया गया है. साथ ही, श्रीराम वन गमन पथ और श्रीकृष्ण पाथेय के लिए भी अलग से बजट निर्धारित किया गया है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार एवं रोज़गार के अवसर पैदा होंगे.

पर्यटन और अधोसंरचना विकास पर जोर

सरकार ने घोषणा की है कि पर्यटन के साथ-साथ इन स्थलों पर अधोसंरचना के विकास को भी प्राथमिकता दी जाएगी. इससे न केवल प्रदेश की ऐतिहासिक विरासत को संसार के सामने लाया जाएगा, बल्कि स्थानीय लोगों को स्थायी रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे.

प्रमुख योजनाओं का परिचालन और आर्थिक लक्ष्य

मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लोकल फॉर वोकल के संकल्प को आकार देते हुए, रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव और ग्लोबल इंडस्ट्री समिट में प्रस्तुत प्रस्तावों को जमीन पर उतारा जाएगा. इस दिशा में प्रदेश की हर क्षेत्रीय विशेषता, क्षमता और दक्षता को विश्व स्तर पर प्रदर्शित किया जाएगा. सरकार ने यह भी बताया कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2047 तक 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया है.