जुवेनाइल कोर्ट में वयस्क आरोपी की तरह चलेगा नाबालिग पर ट्रायल -हाईकोर्ट

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मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में वर्ष 2017 में हुए बहुचर्चित भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन ब्लास्ट मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि अपराध में शामिल 17 साल के नाबालिग आरोपी के खिलाफ भले ही मुकदमा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में चलेगा, लेकिन ट्रायल उसे वयस्क मानकर ही किया जाएगा।

दरअसल इस मामले पर भोपाल की जिला अदालत ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट से सलाह मांगी थी। उसी को आधार मानकर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। भोपाल कोर्ट ने हाईकोर्ट से यह स्पष्ट करने की मांग की थी कि 17 वर्षीय आरोपी का मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी की विशेष अदालत में चलाया जाए या फिर किशोर न्याय बोर्ड में। ट्रायल के दौरान एजेंसी की और से बताया गया था कि जुवेनाइल कोर्ट ने आरोपी की मानसिक और शारीरिक स्थिति का आकलन करते हुए यह निष्कर्ष निकाला था कि आरोपी वयस्कों की तरह पूर्व रूप से परिपक्व है।

जस्टिस संजय द्विवेदी की कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि कानूनी रूप से नाबालिग आरोपी की सुनवाई जुवेनाइल कोर्ट में ही की जानी चाहिए। हालांकि कोर्ट ने आरोपी को वयस्क मानकर उसकी ट्रायल जुवेनाइल कोर्ट में ही जारी रखने का फैसला सुनाया है। इस केस में कोर्ट मित्र अनिल खरे और एनआईए की तरफ से पब्लिक प्रोसिक्यूटर दीपेश जोशी उपस्थित रहे।

कोर्ट को बताया गया कि साल 2017 में भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में शाजापुर के पास एक बम धमाका हुआ था। ब्लास्ट में 2 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे, इसके साथ ही 11 अन्य लोगों को भी धमाके में चोट आई थी। एनआईए ने जांच के दौरान धारा 120-बी, 122, 307, 326, 324; विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3/4; रेलवे अधिनियम की धारा 150, 151; सार्वजनिक संपत्ति (रोकथाम) अधिनियम की धारा 4; और गैरकानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम की धारा 16 (बी), 18, 25, 38 और 39 के तहत प्रकरण दर्ज किया था।