उज्जैन; 100 प्रतिशत शुद्ध हैं बाबा महाकाल के प्रसाद में मिलने वाले लड्डू; जाने कैसे बनते हैं यहाँ लड्डू?

देश के सबसे लोकप्रिय और अमीर धर्मस्थल तिरुपति स्थित श्री वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसादम लड्डू में गाय की चर्बी और मछली का तेल इस्तेमाल करने के मामले ने करोड़ों सनातनियों को दंग कर दिया है। आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के इसकी जानकारी देने के बाद से मामले ने तूल पकड़ लिया है। मामला हाईकोर्ट पहुंच गया और इसकी जांच की मांग की जा रही है। अब इस मामले में आने क्या होगा यह तो समय ही बताएगा, लेकिन मामले ने देश के कई धार्मिक स्थलों पर मिलने वाले प्रसाद की शुद्धता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए, ऐसे में मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल उज्जैन श्री महाकालेश्वर मंदिर में मिलने वाले प्रसाद के बारे में जानते हैं, यह कैसे बनता है, इसमें कौन का घी इस्तेमाल होता है और यह कितना शुद्ध है?

तिरुपति स्थित श्री वेंकटेश्वर मंदिर की तरह विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भी बाबा महाकाल को लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। भोग में बने लड्डू भक्तों को सशुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं। लड्डू का यह प्रसाद भक्तों को नो प्रॉफिट और नो लॉस में दिया जाता है, यानी लड्डू बनाने में जितनी लागत लगती है, सिर्फ वहीं खर्च निकालने के लिए भक्तों से रुपये लिए जाते हैं। इसमें मंदिर समिति कोई मुनाफा नहीं लेती है। लड्ड का यह पैकेट 50 रुपये से लेकर 400 रुपये के पैकेट में मिलता है।

बाबा महाकाला के भोग और भक्तों का प्रसाद लड्डू श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति की चिंतामण क्षेत्र स्थित इकाई में तैयार किया जाता है। लड्डू बनाने की पूरी प्रक्रिया अधिकारियों की देखरेख में की जाती है। लड्डू में शुद्धता बनाए रखने के लिए  मंदिर प्रबंध समिति बेसन की बजाए चने की दाल खरीदती है। इस दाल को प्रसाद भवन में ही लगी चक्की में पीसकर बेसन बनाया जाता है, जिसे लड्डू बनाने में उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही लड्डू में रवा, काजू, किसमिस और शक्कर का बूरा भी मिलाया जाता है। जिसे मंदिर समिति जांच के बाद ही खरीदती है। लड्डू में उपयोग होने वाला देसी घी प्रदेश की सांची डेरी से खरीदा जाता है। यह डेयरी मध्यप्रदेश सरकार द्वारा अधिकृत है।

मंदिर समिति प्रसाद में शुद्वता बनाए रखने के लिए शासकीय डेरी का घी सांची या जो मध्यप्रदेश शासन द्वारा अधिकृत हो उसी ब्रांड का उपयोग करती है। श्री महाकालेश्व मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक डॉ़ पीयूष त्रिपाठी बताते हैं कि महाकाल मंदिर के प्रसाद की शुद्धता के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय अवार्ड भी मिल चुके हैं। शुद्धता की कसौटी पर खरा उतरने के कारण ही अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि ट्रस्ट द्वारा उन्हें प्रसाद संबंधी जानकारी के लिए आमंत्रित किया गया था, जिसके बाद उज्जैन से अयोध्या गई टीम ने गुणवत्ता के साथ लड्डू प्रसाद के निर्माण की जानकारी दी थी।

प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर मिल चुके हैं अवॉर्ड 

श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि श्री महाकालेश्वर मंदिर में दिए जाने वाले लड्डू प्रसाद को उसकी अच्छी गुणवत्ता के कारण है तीन से चार बार अवॉर्ड मिल चुका है। राष्ट्रपति ने भी पुरस्कार दिया है। शुरुआत से लेकर अब तक प्रसाद बनाने की प्रक्रिया एक जैसी है। प्रसाद के लड्डू को परंपरा और व्यवस्थाओं के अनुरूप ही तैयार किया जाता है। तिरुपति बालाजी और बाबा महाकाल दोनों ही ऐसे स्थान हैं, जहां भगवान को बेसन के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। तिरुपति बालाजी के भोग के लड्डूओं को नुक्ति (बूंदी) और कपूर डालकर तैयार किया जाता है, जिससे यह 10 से 12 दिनों में अलग ही तरह की हीक देने लगते हैं। वहीं, बाबा महाकाल को चढ़ाए जाने वाला प्रसाद (लड्डू) बेसन का होता है, इस कारण यह जल्दी खराब नहीं होता। तिरुपति मंदिर के प्रसाद में इस प्रकार की गड़बड़ी करोड़ों लोगों की आस्था पर कुठाराघात है। इस प्रकार की घटनाएं नहीं होना चाहिए और परंपराओं से खिलवाड़ भी बंद होना चाहिए।