शॉर्टकट से बने सरकारी बाबू-अधिकारी, 232 पर लटकी तलवार, 24 की नौकरी जाना तय!

आरक्षण का लाभ लेने के लिए फर्जीवाड़ा करने वाले 24 अधिकारी-कर्मचारियों की नौकरी जाना लगभग तय हो गया है. वहीं 232 पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है. विधानसभा में यह जानकारी विधायक द्वारा पूछे गए सवाल के लिखित जवाब के रूप में यह जानकारी सरकार ने दी है.
9 सालों से सिर्फ जांच ही जारी
मध्य प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाण पत्र और फर्जी दिव्यांगता सर्टिफिकेट से नौकरी पाने के मामले लगातार सामने आते रहे हैं. इस मामले में अब सामने आया है कि प्रदेश में 232 कर्मचारी अधिकारियों के जाति प्रमाण पर की जांच की जा रही है. इन 232 कर्मचारी-अधिकारियों के खिलाफ अलग-अलग लोगों द्वारा शिकायतें दर्ज कराई गई हैं. जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह ने इसकी लिखित जानकारी विधानसभा में दी है.
विधायक डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ने इसको लेकर सवाल पूछा था कि फर्जी जाति प्रमाण-पत्रों की जांच के संबंध में साल 2015 से आज तक किसने किसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. उन शिकायतों की जांच में क्या कार्रवाई की गई. जवाब में सरकार ने बताया कि प्रदेश में 232 कर्मचारी अधिकारियों के खिलाफ अलग-अलग लोगों द्वारा शिकायतें की गई हैं, जिनके खिलाफ जांच की जा रही है. हालांकि अधिकांश के खिलाफ अभी तक जांच ही चल रही है.
24 की नौकरी जाना तय
उधर विधायक डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह द्वारा पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि 2020 के बाद पिछले चार साल में 24 अधिकारी कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त किया जा चुका है. इसी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर इन कर्मचारी-अधिकारियों ने सरकारी नौकरी प्राप्त की थी. जाति प्रमाण पत्र निरस्त होने के बाद इनकी नौकरी जाना तय मानी जा रही है.
कांग्रेस विधायक ने सवाल पूछा था कि 1 अप्रैल 2020 से अभी तक किस विभाग के कर्मचारी अधिकारी के खिलाफ जाति प्रमाण पत्र की जांच लंबित है और किसकी जांच पूर्ण की गई है.
