उज्जैन में शिक्षकों ने की दंडवत यात्रा, पद बढ़ाने की मांग को लेकर किया प्रदर्शन!

उज्जैन; पद वृद्धि की मांग कर रहे सैकड़ों वेटिंग शिक्षकों ने उज्जैन रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक दंडवत यात्रा शुरू की। प्रदेश भर के वर्ग-1 की चयन और पात्रता परीक्षा पास करने वाले शिक्षक नौकरी की मांग में प्रदर्शन कर रहे हैं। आगामी तीन दिन उज्जैन में रहकर सभी अभ्यर्थी शिप्रा नदी और टावर चौक पर प्रदर्शन करेंगे।
एक साल से पद वृद्धि की मांग कर रहे चयनित शिक्षकों ने दिल्ली और भोपाल के बाद अब उज्जैन में प्रदर्शन शुरू किया है। प्रदेश भर से अलग अलग ट्रेनों से उज्जैन रेलवे स्टेशन पहुंचे अभ्यर्थियों ने अभ्यर्थी चयन और पात्रता परीक्षा पास करने के बाद भी प्रतीक्षा सूची में रखे जाने से नाराज होकर दंडवत यात्रा शुरू की जो महाकाल मंदिर पर खत्म होगी।
विरोध प्रदर्शन कर रही शिक्षक बबीता शर्मा ने बताया कि पद वृद्धि को लेकर हम पिछले डेढ़ वर्षो से दिल्ली भोपाल और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन फिर भी हमारी मांगों को नहीं माना जा रहा है। इसलिए हम यह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आज हम बाबा महाकाल के दरबार में दंडवत प्रणाम करते हुए उन्हें ज्ञापन सौंपेंगे। जिसके बाद टावर चौक पर भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का चित्र रखकर प्रदर्शन किया जाएगा। तीन दिवसीय इस प्रदर्शन के दौरान हम रामघाट पर जल सत्याग्रह के साथ ही भूख हड़ताल और अनिश्चितकालीन धरना भी देंगे।
दंडवत यात्रा कर महाकाल से करेंगे प्रार्थना
अभ्यर्थियों ने कहा कि, सरकार ने माना है 58 हजार पद खाली है। हम बीस हजार पदों पर पद वृद्धि के लिए मांग कर रहे हैं। सरकार हमारी प्रार्थना सुनें। विगत डेढ़ सालों से प्रयास कर रहे हैं। हमने हर जगह आंदोलन किए। दिल्ली तक गए। भोपाल में भी हमने प्रदर्शन किया था। लेकिन सरकार सुन नहीं रही है। हमारी आज यही प्रार्थना है कि सरकार पदों पर चयनित शिक्षकों की भर्ती करे। हमने पहले भी प्रदर्शन कर भोपाल में रानी कमलापति से डीपीआई तक दंडवत यात्रा की। आज हम महाकाल बाबा से प्रार्थना करने आए हैं।
नए पदों की संख्या कम
शिक्षकों का कहना है कि अब तक मध्यप्रदेश में शिक्षक भर्ती के लिए केवल पात्रता परीक्षा आयोजित की जाती थी, लेकिन वर्ग 1 के रोस्टर में लगभग 45 प्रतिशत बैकलॉग हैं और नए (फ्रेश) पदों की संख्या कम होने के कारण, श्रेणीवार केवल 6 से 8 पद ही आवंटित हो पा रहे हैं। इस वजह से अच्छे अंक लाने के बावजूद कई अभ्यर्थियों का चयन नहीं हो पा रहा है।
शिक्षकों का कहना है कि कई वर्षों से तैयारी करने के बाद वे अब अपने जीवन के अंतिम पड़ाव तक पहुंच चुके हैं। यह उनका अंतिम अवसर है। वर्ष 2018 से लंबे समय के इंतजार के बाद 5 साल बाद परीक्षा आयोजित की गई थी, फिर भी पद इतने कम क्यों हैं, यह उनका प्रमुख सवाल है।
