उज्जैन में ‘आर्ष भारत’ प्रदर्शनी…CM यादव ने किया अवलोकन!

भारतीय ज्ञान परंपरा और ऋषि-मनीषियों के वैज्ञानिक योगदान को दर्शाने के लिए उज्जैन में ‘आर्ष भारत’ प्रदर्शनी का आयोजन किया गया है। जानकारी के मुताबिक, यह प्रदर्शनी महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ द्वारा विक्रमोत्सव 2025 के अंतर्गत बिड़ला भवन परिसर में लगाई गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार रात इस प्रदर्शनी का अवलोकन किया और इसे भारतीय वैज्ञानिक परंपरा की अद्भुत प्रस्तुति बताया।
बता दें, आर्ष भारत’ प्रदर्शनी भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर केंद्रित है, जिसमें 120 से अधिक ऋषियों, महर्षियों, आचार्यों और वैज्ञानिकों के जीवन एवं योगदान को प्रदर्शित किया गया है। ऐसे में, प्रदर्शनी में देशभर के 25 से अधिक प्रसिद्ध चित्रकारों द्वारा बनाए गए चित्रों को शामिल किया गया है, जो प्राचीन भारत के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
प्रदर्शनी में क्या है खास?
विक्रमकालीन मुद्रा एवं मुद्रांक: अश्विनी शोध संस्थान के सहयोग से प्रदर्शित किया गया है। बता दें, श्रीकृष्ण चौंसठ कलाएं एवं लघु चित्र: श्रीकृष्ण की छवियों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है। 84 महादेव पर आधारित प्रदर्शनी, भारत की धार्मिक एवं सांस्कृतिक धरोहर को प्रस्तुत किया गया है। जानकारी के अनुसार, मालवा की चित्रावन शैली: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कलाओं को चित्रित किया गया है।
भारतीय ज्ञान परंपरा का गौरवशाली प्रदर्शन
प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक, भारतीय ज्ञान परंपरा ने दुनिया को नई दिशाएं प्रदान की हैं। भारत में गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, योग, आयुर्वेद, वास्तुकला और दर्शन जैसे विषयों में अद्वितीय योगदान दिया है। इस प्रदर्शनी में उन महान ऋषियों की जीवनगाथा को दिखाया गया है, जिन्होंने तप, साधना और ध्यान के माध्यम से इस ज्ञान को अर्जित किया और दुनिया को दिशा दी। बता दें, यह प्रदर्शनी 30 मार्च 2025 तक उज्जैन के बिड़ला भवन परिसर में रोजाना सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक आम जनता के लिए खुली रहेगी।
मुख्यमंत्री का क्या कहना है?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए कहा कि भारतीय ऋषियों द्वारा दिए गए वैज्ञानिक योगदान को नए दृष्टिकोण से समझाने का यह एक बेहतरीन प्रयास है। यह प्रदर्शनी भारतीय सनातन परंपरा के गौरवशाली इतिहास को जन-जन तक पहुंचाने में मददगार साबित होगी। ‘आर्ष भारत’ प्रदर्शनी भारतीय वैज्ञानिक परंपरा की समृद्धि को दर्शाने का एक प्रयास है। यह उज्जैनवासियों और इतिहास व संस्कृति प्रेमियों के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वे भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को नजदीक से समझ सकें।
