MP; एरण में ASI का कमाल, नरसिंह प्रतिमा फिर हुई खड़ी!

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सागर: सागर जिले के एरण कस्बे में एक अनोखी नरसिंह प्रतिमा फिर से खड़ी हो गई है। यह प्रतिमा गुप्त काल की है। खास बात यह है कि इसमें नरसिंह भगवान मुस्कुरा रहे हैं, जबकि आमतौर पर उन्हें रौद्र रूप में दिखाया जाता है। एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने 150 साल बाद इस प्रतिमा को फिर से स्थापित किया है। पहले यह प्रतिमा जमीन पर गिरी हुई थी।

एरण भोपाल से 160 किलोमीटर दूर बीना नदी के किनारे बसा है। यह शहर इतिहास से भरा हुआ है। सम्राट समुद्रगुप्त के शिलालेखों में इसका नाम ‘ऐरिकिण’ मिलता है। 1874-75 में ब्रिटिश आर्मी इंजीनियर और पुरातत्वविद् अलेक्जेंडर कनिंघम ने इस जगह के अवशेषों की खोज की थी। कनिंघम एएसआई के पहले डायरेक्टर-जनरल थे। उन्होंने नरसिंह की विशाल प्रतिमा देखी, जो टूटी हुई हालत में जमीन पर पड़ी थी।

ASI के जबलपुर सर्कल के सुपरिंटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट शिवकांत वाजपेयी ने बताया कि यहां गुप्त काल के तीन मंदिर हैं: विष्णु मंदिर, वराह मंदिर और नरसिंह मंदिर। अलेक्जेंडर कनिंघम ने 1874-75 में इस जगह का दौरा किया और ‘टूर ऑफ बुंदेलखंड एंड मालवा’ नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित की। उन्होंने लिखा कि वहां एक टूटा हुआ मंडप था, लेकिन नरसिंह की मूर्ति के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।

150 वर्षों से टूटी पड़ी थी मूर्ति

नरसिंह की यह मूर्ति 150 सालों से टूटी हुई पड़ी थी। वाजपेयी ने कहा कि पहले भी इसे ठीक करने की कोशिशें की गईं, लेकिन वे सफल नहीं हुईं। लगभग छह महीने पहले एक नई परियोजना शुरू की गई और इस बार सफलता मिली। 26 मार्च को नरसिंह की प्रतिमा को फिर से खड़ा कर दिया गया।

इस तरह खड़ी की गई प्रतिमा

वाजपेयी ने बताया कि संरक्षण के दौरान कई सावधानियां बरती गईं। सबसे पहले, एक सांचा बनाया गया ताकि पता चल सके कि कोई हिस्सा गायब तो नहीं है। कुछ भी गायब नहीं था। उसके बाद ही संरक्षण का काम शुरू हुआ। इस काम के लिए कई टीमों को बुलाया गया था। वरिष्ठ अधिकारियों ने मौके पर काम की निगरानी की। मूर्ति को आधार पर टिकाने और खड़ा करने में चार दिन लगे।

मुस्कुरा रहे नरसिंह भगवान

उन्होंने आगे कहा कि यह एक दुर्लभ और पुरातात्विक रूप से महत्वपूर्ण संरचना है, इसलिए हर कदम बहुत सावधानी से उठाया गया। आमतौर पर, नरसिंह को गुस्से वाले रूप में दिखाया जाता है, लेकिन इस मूर्ति में वे मुस्कुरा रहे हैं। अब एरण के तीनों मंदिरों का संरक्षण हो चुका है। एरण में प्रागैतिहासिक काल से लोग रहते आए हैं। गुप्त वंश के दौरान यह क्षेत्र एक समृद्ध शहर था।

8 टन वजन और 8 फीट उंचाई

इस मूर्ति का वजन 8 टन है और यह 8 फीट ऊंची है। यह एरण कस्बे में वराह की विशाल मूर्ति के पास स्थित है। वराह भगवान विष्णु का ही एक रूप हैं, जो पृथ्वी को बचाने के लिए आए थे। एरण में नरसिंह और वराह दोनों की मूर्तियां बहुत ही खास हैं।