मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को नोटिस; जानें क्या है मामला?

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को लेकर बड़ा आदेश दिया है. इस मामले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर भी नोटिस जारी किए गए हैं. इस संबंध में 17 दिसंबर को आगे कार्रवाई होगी. हाई कोर्ट के एडवोकेट उत्कर्ष अग्रवाल ने बताया कि कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को एडिट कर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने के मामले में जनहित याचिका लगाई गई थी. यह याचिका दमोह के डॉक्टर विजय बजाज द्वारा लगाई गई थी. इस जनहित याचिका को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीरता दिखाई है.

नोटिस जारी कर मांगा गया है जवाब

इस संबंध में केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ-साथ राज्य सरकार, मेटा प्लेटफॉर्म यूट्यूब, एक्स आदि को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है. इसकी सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी. उन्होंने बताया कि डॉ विजय बजाज जनहित याचिका में स्पष्ट रूप से कहा था कि कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग को एडिट कर सोशल मीडिया पर अपलोड किया जा रहा है, जो कि नियमों का उल्लंघन है.

कोर्ट ने संबंध में नोटिस जारी किए हैं. एडवोकेट अग्रवाल के मुताबिक जनहित याचिका में यह भी मांग की गई है कि गलत तरीके से सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर जो भी आर्थिक लाभ कमाया जा रहा है, उसकी रिकवरी भी की जाना चाहिए.

गंभीर अपराध को लेकर भी सवाल उठाए

एडवोकेट उत्कर्ष अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में अधिवक्ता मुकेश अग्रवाल की ओर से भी कोर्ट में पक्ष रखा गया था. कोर्ट को बताया गया था कि पास को सहित अन्य गंभीर अपराधों में भी लाइव स्ट्रीमिंग को एडिट कर गलत तरीके से सोशल मीडिया पर प्रसारित किया जा रहा है जो की पूरी तरह गलत है. संबंध में माननीय न्यायालय ने अपना आदेश देकर नोटिस जारी किया है अब दिसंबर में अगली सुनवाई होना है.

हाईकोर्ट की यूट्यूब अपलोडिंग के लेकर याचिका

दरअसल दमोह निवासी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. विजय बजाज की ओर से ये याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक मुख्य प्रकरणों की सुनवाई लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से किए जाने के सभी हाईकोर्ट को निर्देशित थे. लेकिन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में साल 2021 में न्यायालयीन प्रक्रिया की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए कुछ नियम बनाए गए थे, जिसमे बाद में संशोधन किया गया था. इन नियमों में स्पष्ट प्रावधान है कि लाइव स्ट्रीमिंग के सभी कॉपीराइट हाईकोर्ट के पास हैं. इन नियमों के अंतर्गत किसी भी प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीमिंग का मनमाना उपयोग, शेयर, ट्रांसमिट या अपलोड करना प्रतिबंधित है.
नियम के बावजूद गाइडलांस का उल्लंघन करते हुए कई इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीमिंग की क्लिपिंग को एडिट करके अपलोड करके आर्थिक लाभ उठाया जा रहा है. हाईकोर्ट के आदेशों के मीम्स, शॉर्ट बनाए जाते हैं और न्यायाधीशों, अधिवक्ताओं व शासकीय अधिकारियों पर अभद्र व आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती हैं. याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट लाइव स्ट्रीमिंग का दुरुपयोग कर इंटरनेट मीडिया से जो धनार्जन किया है, उसकी वसूली की जाए. इसके अलावा सोशल मीडिया में अपलोड की गई क्लिपिंग डिलीट की जाएं.